ख़लीफ़ा की खोपड़ी – अशोक चकà¥à¤°à¤§à¤°
दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ का नया जतà¥à¤¥à¤¾ आया
गाइड ने उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से बताया—
ये नायाब चीज़ों का
अजायबघर है,
कहीं परिनà¥à¤¦à¥‡ की चोंच है
कहीं पर है।
ये देखिà¤
ये संगमरमर की शिला
à¤à¤• बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ क़बर की है,
और इस पर जो बड़ी-सी
खोपड़ी रखी है न,
ख़लीफा बबà¥à¤¬à¤° की है।
तà¤à¥€ à¤à¤• दरà¥à¤¶à¤• ने पूछा—
और ये जो
छोटी खोपड़ी रखी है
ये किनकी है ?
गाइड बोला—
है तो ये à¤à¥€ ख़लीफ़ा बबà¥à¤¬à¤° की
पर उनके बचपन की है।