—– तेरी तड़प —–

तेरी तड़प को हर लम्हा
महसूस कर रहा हूँ
क्या करूँ , दूर हूँ तुझसे मगर
तेरी धडकनों को
अब तलक मैं
महसूस कर रहा हूँ
हर लम्हा अब भी
यहाँ तेरे लिए ही तनहा
मैं यहाँ जी रहा हूँ
वो धोखा दे तो
उसकी क्या खता है
खता मेरी है
धोखा खा रहा हूँ……..ऋषि कुमार.

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