— तेरे शहर से दूर —
तेरे शहर से दूर
मेरा आशियाँ है मगर
हर एक पल तेरी ही तस्वीर मेरी निगाहों मेंहै
तू चाहे या ना चाहें मुझे, मगर तू ये जान ले
तेरे दिल के हर धड़कनों पर नाम है मेरा
इन निगाहों का क्या है
जिसे बेंताहाँ चाहे है ये
उसे शायद उसका वो
प्यार नहीं मिलता
सुनी कलाई हो जिस केलिए
उसके नाम का कंगन उसे नहीं मिलता
और जब तलक ना हो सांस के धागों का मिलन
बेचैन रहता है ये दिल उसके लिए
जब तक उसका आसरा नहीं मिलता
दिल के रिश्तों की तरह
नाजुक जैसी कोई चीज नहीं
ढ़ेरों चाहनेवालें हो मगर
दिल से जुड़ी हो जिस के लिए
हर एक बात, दूसरा कोई नहीं मिलता ..