पहला क़दम – अशोक चकà¥à¤°à¤§à¤°
अब जब
विशà¥à¤µà¤à¤° में सबके सब,
सà¤à¥à¤¯ हैं, पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ हैं
तो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करते यà¥à¤¦à¥à¤§ हैं ?
कैसी विडंबना कि
आधà¥à¤¨à¤¿à¤• कहाते हैं,
फिर à¤à¥€ देश लड़ते हैं
लहू बहाते हैं।
à¤à¤• सैनिक दूसरे को
बिना बात मारता है,
इससे तो अचà¥à¤›à¥€
समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ वारà¥à¤¤à¤¾ है।
à¤à¤• दूसरे के समकà¥à¤·
बैठजाà¤à¤‚ दोनों पकà¥à¤·
बाचतीत से हल निकालें,
यà¥à¤¦à¥à¤§ को टालें !
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ अशोक जी,
आपका कà¥à¤¯à¤¾ ख़याल है ?
मैंने कहा—
यही तो मलाल है।
बातचीत से कà¥à¤› होगा
आपका à¤à¤°à¤® है,
दरअसल,
ये बातचीत ही तो
लड़ाई का
पहला कदम है।
कà¥à¤¯à¤¾ किया फ़ोटोज़ का ?
सामने खड़ा था सà¥à¤Ÿà¤¾à¤«à¤¼ समूचा
आई. जी. ने रौब से पूछा—
पांच शातिर बदमाशों के
चितà¥à¤° मैंने à¤à¥‡à¤œà¥‡,
कà¥à¤› किया
या सिरà¥à¤«à¤¼ सहेजे ?
इलाक़े में
हो रही वारदातें,
‘कà¥à¤¯à¤¾ कर रही है पà¥à¤²à¤¿à¤¸â€™
ये होती हैं बातें।
रोज़मरà¥à¤°à¤¾ की ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में
बढ़ रहे हैं खतरे,
और
खà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® घूम रहे हैं
जेबकतरे।
चोरी,
डकैती
सेंधमारी,
जेबकतरी
सिलसिला बन गया है रोज़ का,
सिर à¤à¥à¤•à¤¾à¤ खड़ा था
सà¥à¤Ÿà¤¾à¤«à¤¼ सारा,
आई. जी. ने हवा में
बेंत फटकारा-
कोई जवाब नहीं दिया,
बताइà¤
इस तरह
सिर मत à¤à¥à¤•à¤¾à¤‡à¤à¥¤
कà¥à¤¯à¤¾ किया है
बताइठ।
वो उचकà¥à¤•à¥‡
पूरे शहर को मूंड रहे हैं….
à¤à¤• थानेदार बोला—
सर !
तीन फ़ोटो मिल गठहैं
दो फ़ोटो ढूà¤à¤¢à¤¼ रहे हैं।