फिर बनूंगा à¤à¤• बार मैं दूलà¥à¤¹à¤¾!
फिर बनूंगा à¤à¤• बार मैं दूलà¥à¤¹à¤¾,
à¤à¤• बार बना था पहले à¤à¥€!
तब चली बारात थी मेरी,
सब बनà¥à¤§à¥‚ बानà¥à¤§à¤µ साथ थे मेरे,
कà¥à¤› आगे थे कछ पीछे थे,
मैं धरती से ऊपर था बाकी सब नीचे थे!
फूलों से मैं सजा हà¥à¤† था,
कारवां जब घर से चला था,
पांव सबके थिरक रहे थे,
और मैं सपनों में खोया था!
घी और हवन सामगà¥à¤°à¥€ से, पंडित जी ने अनà¥à¤·à¥à¤ ान किया,
और à¤à¤• कलश à¤à¥€ पास पड़ा हà¥à¤† था,
साकà¥à¤·à¥€ थी अगà¥à¤¨à¤¿ तब à¤à¥€,
जब मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤šà¥à¤šà¤¾à¤° हà¥à¤† था!
कà¥à¤› महिलाओं के सà¥à¤µà¤° रो उठे थे,
जब समय विदाई का था आया,
à¤à¤• नये जीवन की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ थी वो,
जब मैं वपिस अपने घर को आया!
à¤à¤• बार बना था पहले à¤à¥€,
à¤à¤• बार बनूंगा फिर मैं दूलà¥à¤¹à¤¾!
फिर à¤à¤• बार चलेगी बारात मेरी,
फिर होगी वो à¤à¤• मिलन की रात मेरी,
सब रसà¥à¤®à¥‹ रिवाज़ वही होगा,
बनà¥à¤§à¥‚ बानà¥à¤§à¤µà¥‹à¤‚ का साथ वही होगा!
फिर à¤à¤• बार सजूंगा फूलों के अंदर,
फिर होगा वही ऊपर नीचे का अंतर,
साकà¥à¤·à¥€ होगी इस बार à¤à¥€ जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾,
फिर à¤à¤• बार पड़ेगा जब पंडित मंतर!
महिला सà¥à¤µà¤° फिर सिसकेंगे, जब घड़ी विदाई की आयेगी,
à¤à¤• नये जीवन की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ वो होगी,
à¤à¤• नये पà¥à¤°à¤à¤¾à¤¤ की रात वो होगी,
जब सदा के लिये वो मà¥à¤à¤•à¥‹ अपनायेगी!
चिर-निदà¥à¤°à¤¾ में जा कर सोऊंगा,
फिर किसी के आग़ोश में जाके,
मधà¥à¤° मिलन की उस रात में,
सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को बिसरा के!
पहले à¤à¥€ à¤à¤• बार बना था,
फिर बनूंगा à¤à¤• बार मैं दूलà¥à¤¹à¤¾!