ये ज़िन्दगी

ये ज़िन्दगी लड़ रही है
इस दुनियां के लोगों से
सब कह रहें है तू गलत है तू गलत है
सब तो यहाँ बन रहे खुद में ही जज हैं
इन नैनन कि बात , उनको
कहाँ समझ में आए
दिल जब-जब रोए
ये निगाहें ना जाने कियूं
एक सैलाब सी बन जाएं
और, बेपरवाह ही नीर बहाएं..

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