— इसी ज़माने से —

तू तो है इसी ज़माने के
पहचान की मगर , फिर क्यूँ
ये ज़माना तुझे गैर क्यूँ कह रहा
नया चेहरा नहीं तू ज़माने केलिए
मगर फिर भी ना जाने क्यूँ
ये ज़माना तुझे क्यूँ गैर कह रहा
तू तो पुरानी तश्वीर है इसी ज़माने की
मगर ना जाने क्यूँ फिर तुझे
ये ज़माना तुझे नया क्यूँ कह रहा
हर ज़बा पर तू है छाई
फिर भी ना जाने क्यूँ
तुझे ये ज़माना अब
गुज़रा ज़माना कह रहा
तू तो है इस ज़माने के
पहचान की मगर , फिर क्यूँ
ये ज़माना तुझे गैर क्यूँ कह रहा...

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