— दूर तलक —
दूर तलक अँधेरा है वो रौशनी कहाँ
जो नज़र को नज़र करे ठहरा सा था मैं भी वहीँ उसी के इंतज़ार में
जहाँ की कोई उस अँधेरी रात को भी आने वाली एक खुबशुरत शहर कहे...
दूर तलक अँधेरा है वो रौशनी कहाँ
जो नज़र को नज़र करे ठहरा सा था मैं भी वहीँ उसी के इंतज़ार में
जहाँ की कोई उस अँधेरी रात को भी आने वाली एक खुबशुरत शहर कहे...