— ना जाने कियूं —

ना जाने कियूं अब

जगह बदल रहीं है वो

पहले तो निगाहों में थी

ना जाने कब से , मेरे

दिल में उतर रहीं है वो

जैसे-जैसे सावन बिता

सर्द रातों की ऒर बढ़े हम

वो और भी करीब आ गए

और ना जाने कब से

उनके दिल की

धड़कन बन गए हम..

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