— ये दर्द का आल —

ये दर्द का आलम ऐसा है
की क्या बताऊँ मैं
हर दिन गुजारता हूँ
उसके ही ख्याल में
और रातों का क्या है
ये तो मत पूछिए
करवटों पर करवटें हैं
और बस तन्हाईयाँ ही हैं
जब भी ये आँखें खुले
कोई नहीं है वहां, जहाँ
की,मिलना का था
उसका वादा रहा...

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