– यूँ कभी —

यूँ कभी अफसानो पर यकीं नहीं किया हमने .. मगर ना
जाने क्यों तुझे देख कर कलम चल पड़ी मेरी और मैं अफसाने लिखने लगा बेगाने थे तुम इस कदर की आँखे तक नहीं मिलाए मगर एक मुलाकात में ही तुम हमें कितने अपने लगने लगे….

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