—— चार लाख की रोटी सिक़ुअल ——

वो अग्रवाल का खाना
यु ही हयात आना जाना
वो बारह बजे रात की चाय
इन सब की यादें हमे सताए

वो सूरज कुंड क्रोससिंग
वो आर टी वि की दौड़
वो बैंक का मोड़
जैसे तैसे कॉलेज पहुचना
एक भी लेकचर न बंक करना
अब तो बस सब मीठी यादें हैं
ये सुनहरे पन्नो मे दर्ज
ये सुनहरी बातें हैं

वो सूरज कुंड मेला
और वहां का जलेबा
रंग बिरंगे स्टाल
और वाह रे वेज रोल
वो अब याद आते हैं
ये सब सोच कर
अब पता नही कब मिलना हो
इन ही यादों के संग
अपने दोस्तों के संग जीना हो

वो ऍम के यु का कैर्रम का अंदाज़
जैसे रण में हो जाबाज़
चार लाख की रोटी मे इतना दम था
पास आ गए दोस्तों के हम
ये क्या कम था

अब तो सायद मोबाइल,इन्टरनेट
ही एक सहारा है
जुदा हुए हम सब लेकिन
इन दोनों से हमारा साथ निभ पाया है!!!!!!generic viagra dapoxetinemotilium 10mg side effects

  • Facebook
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

Leave a Reply

 

Powered By Indic IME