— बोलती नहीं है कुछ —

बोलती नहीं है कुछ
बस मुश्कुराना जानती है
वो नाचीज़
हर किसी को अपना
दिवाना बनाना जानती है
मगर कुछ तो कहा था उसने
इशारों में उस पल ही
शायद वो निगाहों को
पढ़ना जानती है,
एक भीनी सी मुस्कान देकर ही
वो अपने प्यार का
इज़हार करना जानती है
बोलती नहीं है कुछ
बस मुश्कुराना जानती है
वो नाचीज़
हर किसी को अपना
दिवाना बनाना जानती है...

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