एक नींद काफी है..

एक नींद काफी है.. एक नींद काफी है नया सवेरा लाने को नये उत्साह मे जागकर नया कुछ मानाने को वो रात जो कट गई वो कितनी काली रात थी कुछ न कहे फिर भी कितनी उसे मे कहानी थी कितनो ने ली थी सिसकिया कितनो ने बंद की थी ज़बा एक रात की ही बात थी कल तो वो यहाँ करीब था ना जाने अब वो कहाँ गया मिट गया उसका भी अब तो नामोनिशा सुबह की चमक तो थी महक रही अब भी थी वो रात की रानियाँ चादरों मे सनी हुई थी सिसकियाँ ही सिसकियाँ आसुओं से भीगी कलाइओ से गुन्द्कर सेकी गई थी रोटियां दर्द के लहू को , देख कर निगाहें भी नम हुई थी , भीड़ मे हो रही दो चार थी बातें भी लगे हुए थे लोग ये बताने मे कौन था गलत वहां उस आसियाने मे डरे हुए थे बगिया के फूल भी गिरा रहे थे मोती ये सोच कर की हमारा माली कहाँ गया वो बीती रात मे रूठ कर मोटी काजल की परत भी तो थी फैली हुई निगाहों की कोर पे चूड़िया भी थी अब बढ़ रही सुनी हो रही थी कलाइयाँ भाव अब कहा था सिन्दूर का एक ही पल मे सब फना हुआ एक नींद काफी है नया सवेरा लाने को नये उत्साह मे जागकर नया कुछ मानाने को अब जग गए हम , तो ठीक है नहीं तो आगे डगर पे मुस्किल होगी इसीलिए ये दिल मेरा कह रहा एक नींद काफी है है नया सवेरा लाने को नई उत्साह मे जागकर नया कुछ मानाने को….

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